Hartalika Teej Katha in hindi हरतालिका तीज, हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है, जिसे खासकर विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और खुशहाल जीवन के लिए करती हैं। यह व्रत विशेष रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश और कुछ अन्य हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। हरतालिका तीज इस साल 6 सितंबर 2024 को मनाई जाएगी। आइए जानें इस व्रत की पूजा विधि और इसके कुछ खास उपाय।
हरतालिका तीज पूजा विधि
Hartalika Teej Katha in hindi हरतालिका तीज की पूजा का तरीका भी विशेष होता है। यहां हम कुछ मुख्य चरणों को संक्षेप में समझेंगे:
महिलाएं ताजे और स्वच्छ कपड़े पहनकर पूजा स्थल पर जाती हैं। इस दिन विशेष रूप से लाल, पीला या गुलाबी रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है।
व्रति महिलाओं को सोलह श्रृंगार करना चाहिए। मंगलसूत्र, सिन्दूर, चूड़ियाँ, बिंदी और अन्य आभूषण शामिल हैं। यह श्रृंगार उनके सौभाग्य को दर्शाता है।
पूजा के लिए मिट्टी से बनी भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्तियों को सजाया जाता है। इन मूर्तियों को चंदन, फूल, दीपक और नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
व्रति पूरे दिन निर्जला उपवास रखती हैं। पूजा के दौरान गंगाजल, दूध, शहद और अन्य पवित्र सामग्री से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस दिन विशेष रूप से शिवलिंग का अभिषेक और पूजा करना महत्वपूर्ण होता है।
पूजा के बाद हरतालिका तीज की कथा सुनना या पढ़ना भी आवश्यक है। इस कथा में माता पार्वती और भगवान शिव के बीच प्रेम और भक्ति को दर्शाया गया है।
हरतालिका तीज के खास उपाय
Hartalika Teej Katha in hindi हरतालिका तीज के दिन कुछ विशेष उपाय करने से व्रति के जीवन में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की वृद्धि हो सकती है:
- शिवलिंग की पूजा: शिवलिंग की विशेष पूजा करने से आर्थिक समस्याएं दूर हो सकती हैं और धन कमाने के नए अवसर मिल सकते हैं।
- व्रत की पूर्णता: व्रत को विधिपूर्वक पूरा करने से भगवान शिव और माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है।
- दान और सहयोग: पूजा के बाद गरीबों और ब्राह्मणों को दान देना भी शुभ होता है। यह दान वस्त्र, आभूषण या भोजन के रूप में हो सकता है।
हरतालिका तीज की कथा(Hartalika Teej Katha in hindi)
Hartalika Teej Katha in hindi हरतालिका तीज की कहानी में भगवान शंकर और माता पार्वती के जुनून और निस्वार्थता को दर्शाया गया है।कथा के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शंकर को प्राप्त करने के लिए महान तपस्या की थी।
कैलाश पर्वत पर माता पार्वती ने महादेव से कहा, “हे महेश्वर! कृपया मुझे वह गुप्त और प्रभावशाली व्रत बताएं, जो सभी के लिए सरल और फलदायी हो। यदि आप मुझसे प्रसन्न हैं, तो दर्शन दीजिए। मैं जानना चाहती हूं कि मैं किस तप, व्रत या दान के पुण्य से आपको प्राप्त कर सकी।”
महादेव ने उत्तर दिया, “हे देवी! मैं तुम्हें एक ऐसे व्रत के बारे में बताता हूं, जो सभी व्रतों में सर्वोत्तम है। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हस्त नक्षत्र के दिन किया जाता है। इस व्रत के प्रभाव से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।”
महादेव ने बताया कि माता पार्वती ने हिमालय पर्वत पर बारह वर्षों तक कठोर तपस्या की थी। वह अग्नि में प्रवेश कर गईं और तपस्या के रूप में पानी में रहीं। सावन के महीने में खुले आकाश में निवास कर अन्न का भी परित्याग किया। इस तपस्या से प्रभावित होकर उनके पिता चिंतित हो गए और विचार करने लगे कि उनकी बेटी का विवाह किससे किया जाए।
देवर्षि नारद ने हिमालय पर जाकर पार्वती की स्थिति के बारे में सुना और भगवान विष्णु के विवाह की सलाह दी। हिमालय ने नारदजी की सलाह मान ली और पार्वती को भगवान विष्णु को अर्पित करने का वचन दिया। लेकिन पार्वती ने अपने पिता के निर्णय का विरोध किया और भगवान शिव को प्राप्त करने के लिए अत्यंत दुखी हो गई।
पार्वती ने अपने सखी की सलाह पर एक अदृश्य वन में तपस्या की और एक बालू का शिवलिंग बनाकर पूजन किया। भाद्रपद मास की तृतीया तिथि को पूजा और रात्रि जागरण के बाद महादेव स्वयं वहाँ आए और पार्वती से कहा कि वह अब अपनी इच्छाओं को व्यक्त कर सकती हैं। पार्वती ने भगवान शिव को अपने पति के रूप में मांग लिया।
महादेव ने पार्वती की तपस्या और श्रद्धा को देखकर उनकी इच्छाओं को पूरा किया। इसके बाद हिमालय पर्वत पर पार्वती और शिव का विवाह हुआ।
आशा है कि इस साल का हरतालिका तीज आपके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लेकर आए!
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