Ganesh Chaturthi 2024 muhurat :हिंदू धर्म का प्रमुख और हर्षोल्लासपूर्ण अवकाश गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्म का सम्मान करता है।मान्यता है कि भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। 11 दिवसीय गणेशोत्सव, जिसके दौरान भगवान गणेश की श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा की जाती है, इसी दिन से शुरू होता है।
इस खास दिन, लोग गणेश जी की मूर्ति को अपने घर लेकर आते हैं और शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक उनकी स्थापना करते हैं। पारंपरिक रूप से मिट्टी की मूर्तियां सबसे अधिक पसंद की जाती हैं, क्योंकि ये पर्यावरण के लिए हानिकारक नहीं होतीं और आसानी से विसर्जित की जा सकती हैं।
इसके अतिरिक्त, पीतल, तांबा या पंचधातु की मूर्तियां भी शुभ मानी जाती हैं। मूर्ति का आकार आपके घर के आकार के अनुसार होना चाहिए, और बहुत बड़ी या बहुत छोटी मूर्तियों से बचना चाहिए। आप अपनी पसंद के अनुसार गणेश जी की किसी भी मुद्रा में मूर्ति चुन सकते हैं, जैसे विघ्नहर्ता या उमा महेश्वर।
गणेश चतुर्थी के दिन से 10 दिनों तक चलने वाले उत्सव में, भक्त गणेश जी की पूजा और सेवा करते हैं। इस दौरान, उन्हें मोदक और लड्डू का भोग अर्पित किया जाता है और दिन में दो बार आरती का आयोजन किया जाता है। उत्सव की समाप्ति पर, 10वें दिन गणेश जी की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
गणेश चतुर्थी 2024: शुभ मुहूर्त और तिथि(Ganesh Chaturthi 2024 muhurat)
गणेश चतुर्थी 2024 का उत्सव भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मनाया जाएगा। इस साल, चतुर्थी तिथि 6 सितंबर को दोपहर 3 बजकर 1 मिनट से शुरू होगी और 7 सितंबर को शाम 5 बजकर 37 मिनट तक चलेगी। हालांकि, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्रत और पूजा का संपूर्ण लाभ उदया तिथि पर किया गया कार्य ही प्रदान करता है।
अगर कोई धार्मिक कार्य, व्रत या अनुष्ठान अंग्रेजी कैलेंडर की 2 तारीखों में पड़ता है, तो उसका पूरा फल उदया तिथि में किया गया कार्य ही प्रदान करता है। गणपति पूजा के लिए दिन का शुभ समय 7 सितंबर को सुबह 11 बजकर 03 मिनट से दोपहर 1 बजकर 34 मिनट तक रहेगा।
इस दौरान, भगवान गणेश की विधिपूर्वक पूजा की जा सकती है। इस मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए पूजा और व्रत की तैयारी करें, ताकि गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जा सके।
बाप्पा की अलग अलग मूर्तिया
गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की मूर्ति का चयन करना महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि विभिन्न सामग्रियों से बनी मूर्तियों का अलग-अलग प्रभाव होता है।
- चांदी की मूर्ति: अगर आप गणेश जी की चांदी की मूर्ति अपने घर लाते हैं, तो यह आपको सम्मान और यश दिला सकती है।
- आम, पीपल, और नीम की लकड़ी की मूर्ति: इन विशेष लकड़ी से बनी मूर्तियों को घर लाने से ऊर्जा और शुभता का संचार होता है, साथ ही जीवन में सकारात्मकता आती है।
- पीतल की मूर्ति: पीतल की मूर्ति घर में सुख, समृद्धि और आनंद को बनाए रखने में सहायक होती है।
- लकड़ी की मूर्ति: यदि आप लकड़ी की गणेश मूर्ति को घर लाते हैं, तो यह आपको अच्छी सेहत और दीर्घकालिक जीवन का आशीर्वाद देती है।
- क्रिस्टल की मूर्ति: क्रिस्टल से बनी गणेश मूर्ति से घर का वास्तु दोष दूर होता है और सौभाग्य का वास होता है।
- कॉपर की मूर्ति: नवविवाहित जोड़ो के लिए कॉपर की गणेश मूर्ति बेहद शुभ मानी जाती है, यह उनके जीवन में सुख और समृद्धि लाती है।
- गाय के गोबर से बनी मूर्ति: गाय के गोबर से बनी गणेश जी की मूर्ति सौभाग्य और पुण्य का प्रतीक मानी जाती है।
बाप्पा की मूर्ति के रंग का महत्व
जब आप अपने घर में भगवान गणेश की नई मूर्ति लाने का सोचें, तो उसकी रंगत पर भी ध्यान देना आवश्यक है। सफेद रंग से रंगी हुई मूर्ति का विशेष अर्थ होता है क्योंकि यह शांति और पवित्रता का प्रतिनिधित्व करती है।सफेद मूर्ति का चयन करने से आपके घर में समृद्धि और स्थिरता का माहौल बनता है।
गणेश चतुर्थी के अवसर पर, भगवान गणेश की बाईं ओर झुकी हुई सूंड वाली मूर्ति भी शुभ मानी जाती है। आपके जीवन में ऐसी मूर्ति होने से धन और संतुष्टि मिलती है। इस प्रकार की मूर्तियां विशेष रूप से आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करती हैं।
बाप्पा की स्थापना के लिए दिशा
जब आप अपने घर में नई गणेश मूर्ति स्थापित करें, तो ध्यान दें कि मूर्ति को बैठी हुई मुद्रा या ललितासन वाली मुद्रा में रखा जाए। यह मुद्रा शांति और आराम का संकेत देती है, जो आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती है।
गणेश जी की मूर्ति को सही दिशा में स्थापित करना भी महत्वपूर्ण है। इसे घर के पश्चिम, उत्तर, या उत्तर-पूर्वी कोनों में रखा जाना चाहिए। इन दिशाओं में मूर्ति की स्थापना से आपके घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
बाप्पा की मूर्ति की स्थापना का तरीका
गणेश चतुर्थी के दिन, मूर्ति को सुबह या दोपहर में शुभ मुहूर्त में स्थापित करें। आप अपने पंचांग से सही मुहूर्त का चयन कर सकते हैं।
- मूर्ति को घर की उत्तर या पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए, और यह स्थान स्वच्छ और शांत होना चाहिए।
- स्थापना के लिए एक मंडप सजाएं। इसे फूलों, रंगोली, और दीपक से सुंदर बनाएं।
- मंडप में एक कलश रखें। इस कलश में गंगाजल, रोली, चावल, कुछ सिक्के और एक आम का पत्ता डालें।
- फिर कलश के सामने गणेश जी की मूर्ति को रखें। मूर्ति के पास एक छोटा दीपक जलाएं।
- गणेश जी की मूर्ति को गंगाजल से स्नान कराएं। इसके बाद, धूप, दीप, और नैवेद्य अर्पित करें और गणेश स्तोत्र का पाठ करें।
- मूर्ति को फूलों से सजाएं और चंदन का तिलक लगाएं। अंत में भगवान गणेश से आशीर्वाद मांगें।
- गणेश जी की मूर्ति को नियमित रूप से फूल और जल चढ़ाना न भूलें।
बाप्पा के लिए खास भोग
- लड्डू -भगवान गणेश को लड्डू का भोग अर्पित करना विशेष रूप से प्रिय है। आप बेसन या बूंदी के लड्डू बना सकते हैं। ये लड्डू गणेश जी को अर्पित करने के लिए पारंपरिक और शुभ माने जाते हैं।
- मोदक-गणेश जी के लिए मोदक एक खास पसंदीदा भोग है। पुराणों में बताया गया है कि गणेश जी बचपन में अपनी मां माता पार्वती द्वारा बनाए गए मोदक को बड़े चाव से खाते थे। मोदक को बप्पा की पसंदीदा मिठाई और उनके उत्सव का एक प्रमुख तत्व माना जाता है।
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