क्या है बाप्पा की स्थापना का इतिहास?किसने की गणेश चतुर्थी मनाने की शुरुआत ?और जानते है बाप्पा के विसर्जन की परंपरा…

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Ganesh Chaturthi history in hindi
Ganesh Chaturthi history in hindi

Ganesh Chaturthi history in hindi:हर साल गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे उत्साह और धूमधाम से मनाया जाता है। खासतौर पर महाराष्ट्र में गणेश उत्सव की भव्यता देखते ही बनती है। यह त्योहार सनातन धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि गणेश उत्सव की शुरुआत कैसे हुई? चलिए, इस उत्सव के इतिहास और महत्व पर एक नजर डालते हैं।

गणेश चतुर्थी, हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है। पूरे देश में भगवान गणेश की पूजा इस दिन होती है, लेकिन महाराष्ट्र और गोवा जैसे राज्यों में यह त्योहार बेहद खास अंदाज में मनाया जाता है। यहां गणेश चतुर्थी की तैयारियाँ कई दिनों पहले से शुरू हो जाती हैं। विभिन्न थीम वाले पंडाल सजाए जाते हैं और बप्पा की विशाल मूर्तियों का निर्माण होता है। इस दौरान लोग दूर-दूर से इन आकर्षक मूर्तियों को देखने आते हैं।

गणेश चतुर्थी का उत्सव भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है और यह उत्सव दस दिनों तक चलता है। इस दौरान बप्पा की मूर्ति को घर लाया जाता है और दस दिनों तक विधिपूर्वक पूजा की जाती है। अंत में, अनंत चतुर्दशी के दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। इस साल गणेश चतुर्थी 7 सितंबर को मनाई जाएगी, और जैसे-जैसे दिन नजदीक आ रहा है, तैयारियों का उत्साह बढ़ता जा रहा है।

गणेश चतुर्थी के इस खास मौके पर हर किसी का मन आनंदित होता है, और यह त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है।

क्यों है यह त्योहार इतना खास?

Ganesh Chaturthi history in hindi:क्यों है यह त्योहार इतना खास
Ganesh Chaturthi history in hindi:क्यों है यह त्योहार इतना खास

भगवान गणेश को सौभाग्य, समृद्धि और ज्ञान का देवता माना जाता है। गणेश पूजा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। मान्यता है कि गणेश उत्सव के दस दिनों तक भगवान गणेश पृथ्वी पर आते हैं और अपने भक्तों की समस्याओं को हल करने में मदद करते हैं। इस दौरान भक्त अपने तरीके से बप्पा को प्रसन्न करने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं।

गणेश उत्सव खासकर महाराष्ट्र, गोवा और तेलंगाना जैसे राज्यों में अत्यंत लोकप्रिय है। इन राज्यों में इस अवसर पर बड़े-बड़े पंडाल सजाए जाते हैं और गणपति जी की भव्य मूर्तियों की पूजा की जाती है। इस दिन हर घर में भगवान गणेश की प्रतिमा का भव्य स्वागत किया जाता है। साथ ही, गणेश चतुर्थी का व्रत भी बड़ी श्रद्धा के साथ रखा जाता है।

इस तिथि को व्रत रखने से व्रती को जीवन में सुख, समृद्धि और अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। गणेश उत्सव के माध्यम से हम न केवल धार्मिक अनुष्ठान करते हैं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी महसूस करते हैं। यह त्योहार हमें अच्छाई की ओर प्रेरित करता है और जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाने का संकल्प देता है।

गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?(Ganesh Chaturthi history in hindi)

Ganesh Chaturthi history in hindi:गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?
Ganesh Chaturthi history in hindi:गणेश चतुर्थी क्यों मनाई जाती है?

गणेश चतुर्थी भगवान गणेश के जन्मोत्सव के रूप में बड़े धूमधाम से मनाई जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को हुआ था। इस दिन भगवान गणेश की पूजा के लिए घर-घर में उनके स्वागत की तैयारी की जाती है और दस दिनों तक उनकी विधिपूर्वक पूजा की जाती है।

गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है, खासकर किसी भी नए कार्य की शुरुआत से पहले। गणेश जी को विघ्नहर्ता के रूप में पूजा जाता है, जो आपके जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और समस्याओं को दूर करते हैं।

गणेश उत्सव की परंपरा महाराष्ट्र में छत्रपति शिवाजी महाराज के शासनकाल से चली आ रही है। उनके समय से ही यह त्योहार एक सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजन के रूप में लोकप्रिय हो गया। गणेश चतुर्थी के अवसर पर यह त्योहार न केवल धार्मिक भावना को प्रकट करता है, बल्कि सामुदायिक एकता और भाईचारे को भी बढ़ावा देता है।

गणेश चतुर्थी का इतिहास

Ganesh Chaturthi history in hindi:गणेश चतुर्थी का इतिहास
Ganesh Chaturthi history in hindi:गणेश चतुर्थी का इतिहास

गणेश चतुर्थी का उत्सव महाराष्ट्र की ऐतिहासिक राजधानी पुणे से शुरू हुआ था। प्रसिद्ध मराठा साम्राज्य के शासक छत्रपति शिवाजी महाराज का इतिहास इस त्योहार से जुड़ा हुआ है। कहते हैं कि जब भारत पर मुगलों का शासन था, तब छत्रपति शिवाजी ने अपनी माता जीजाबाई के साथ मिलकर गणेश चतुर्थी की शुरुआत की। धार्मिक रीति-रिवाजों को पुनर्जीवित करना और अपनी सनातन संस्कृति को संरक्षित करना उनका लक्ष्य था।

शिवाजी महाराज के इस उत्सव को शुरू करने के बाद, मराठा साम्राज्य के अन्य पेशवा भी गणेश महोत्सव को मनाने लगे। गणेश चतुर्थी के दौरान पेशवा ब्राह्मणों को भोजन कराते थे और दान-पुण्य भी करते थे। यह परंपरा समाज में धार्मिक और सांस्कृतिक एकता को बढ़ावा देती थी।

ब्रिटिश औपनिवेशिक काल के दौरान गणेश चतुर्थी जैसे हिंदू त्योहारों पर कई सीमाएं लगा दी गयी थीं।हालांकि, 19वीं सदी के अंत में बाल गंगाधर तिलक ने इस उत्सव को पुनर्जीवित किया। उनके प्रयासों से गणेश चतुर्थी को सार्वजनिक रूप से मनाने की परंपरा फिर से शुरू हुई। इसके बाद, 1892 में भाऊ साहब जावले द्वारा पहली गणेश मूर्ति की स्थापना की गई, जिसने इस त्योहार को और भी लोकप्रिय बना दिया।

गणेश चतुर्थी की ऐतिहासिक यात्रा सामाजिक और सांस्कृतिक सद्भाव के प्रतीक के साथ-साथ धार्मिक रीति-रिवाजों के निर्वहन की भी कहानी है।

गणपति विसर्जन की परंपरा

Ganesh Chaturthi history in hindi:गणपति विसर्जन की परंपरा
Ganesh Chaturthi history in hindi:गणपति विसर्जन की परंपरा

Ganesh Chaturthi history in hindi:गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की स्थापना की जाती है, और इसके दस दिनों बाद उनका विसर्जन किया जाता है। कई लोग यह जानने के इच्छुक होते हैं कि गणेश जी की पूजा के बाद उन्हें क्यों विसर्जित किया जाता है। इसके पीछे एक महत्वपूर्ण कथा है जो धर्म शास्त्रों में वर्णित है।

पौराणिक कथा के अनुसार, महर्षि वेदव्यास ने महाभारत की रचना के लिए भगवान गणेश से सहायता मांगी थी। गणेश चतुर्थी के दिन, वेदव्यास जी श्लोक बोलते गए और गणेश जी उन्हें लिखते गए। दस दिनों तक लगातार लेखन कार्य जारी रहा, जिससे गणेश जी की मूर्ति पर धूल और मिट्टी की परतें जम गईं।

जब दसवां दिन आया, तो गणेश जी ने इस धूल-मिट्टी को साफ करने के लिए सरस्वती नदी में स्नान किया। यही कारण है कि गणेश जी को दसवें दिन विधिपूर्वक विसर्जित करने की परंपरा शुरू हुई। इस परंपरा का उद्देश्य गणेश जी को उनके पारंपरिक स्वरूप में लौटाना है, और यह भी दर्शाता है कि सच्ची श्रद्धा और सम्मान के साथ किए गए कार्य की समाप्ति का एक आधिकारिक तरीका है।

इस परंपरा के माध्यम से, गणेश उत्सव के दौरान हम भगवान गणेश को अपने जीवन से विदा देते हैं और उन्हें पुनः प्राकृतिक तत्वों में मिलाने के साथ-साथ उनकी उपस्थिति का सम्मान करते हैं। यह हमें प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाए रखने की याद दिलाता है और जीवन के हर चरण के साथ जुड़ने का एक तरीका है।

निष्कर्ष

Ganesh Chaturthi history in hindi:गणेश स्थापना का इतिहास एक धार्मिक और सांस्कृतिक इतिहास की अभिव्यक्ति है जो समय के साथ बदलता रहा।लोकमान्य तिलक की पहल से लेकर आज तक, गणेश चतुर्थी ने एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक त्योहार का रूप ले लिया है। इस त्योहार का प्रत्येक पहलू, चाहे वह पूजा की विधि हो या सांस्कृतिक गतिविधियाँ, समाज को एक साथ लाने और धार्मिक उत्साह को प्रोत्साहित करने का कार्य करती है। गणेश चतुर्थी हमें अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताओं को मनाने और बनाए रखने के महत्व की याद दिलाती है।

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