इस दिन है सर्वपितृ अमावस्या …जाने शुभ तिथि,और ऐसे करे तर्पण जिससे पूर्वज प्रसन्न होकर देंगे आशिर्वाद

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Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?
Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?

Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:हर साल श्राद्ध पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण किया जाता है, जो भाद्रपद मास की पूर्णिमा से शुरू होकर आश्विन महीने की अमावस्या तक चलता है। 2024 में यह अवधि 17 सितंबर से 2 अक्टूबर तक रहेगी। इस दिन को सर्वपितृ अमावस्या कहा जाता है, जब उन सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी तिथि हम भूल जाते हिंदू धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि यह पितृ पक्ष के अंत का प्रतीक है।

सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान जैसे अनुष्ठान किए जाते हैं, जिससे दिवंगत पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि बिना इन अनुष्ठानों के पितरों की आत्मा को शांति नहीं मिलती। इस दौरान पितर स्वर्ग लोक से धरती पर आते हैं, और श्रद्धालु सच्चे मन से इन कर्मों को करते हैं। आइए, जानें इस साल सर्वपितृ अमावस्या की सही तिथि, शुभ मुहूर्त और तर्पण की विधि।

सर्वपितृ अमावस्या की तिथि और मुहूर्त(Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?)

सर्वपितृ अमावस्या 2024 में आश्विन माह की कृष्ण पक्ष की अमावस्या के रूप में मनाई जाएगी। यह तिथि 1 अक्टूबर 2024 को सुबह 9:34 बजे शुरू होगी और 2 अक्टूबर 2024 को रात 12:18 बजे समाप्त होगी। उदय तिथि के अनुसार, इस दिन पूजा 2 अक्टूबर को की जाएगी।

इस दिन विशेष रूप से कुतुप मुहूर्त सुबह 11:45 बजे से 12:24 बजे तक रहेगा, इसके बाद रोहिण मुहूर्त दोपहर 12:34 बजे से 1:34 बजे तक होगा।

इसके अलावा, तर्पण पूजा दोपहर के समय करना भी शुभ माना जाता है। ज्योतिषियों का मानना है कि इस समय किया गया तर्पण पितरों द्वारा अधिक आसानी से स्वीकार किया जाता है। सर्वपितृ अमावस्या के दिन तर्पण का मुख्य मुहूर्त 2 अक्टूबर को दोपहर 1:21 बजे से 3:43 बजे तक रहेगा।

इस विशेष दिन का लाभ उठाकर अपने पितरों को श्रद्धांजलि अर्पित करना न भूलें।

अमावस्या पर किसका श्राद्ध करें?

Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:अमावस्या पर किसका श्राद्ध करें
Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:अमावस्या पर किसका श्राद्ध करें

Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?सर्वपितृ अमावस्या के दिन सभी पितरों का श्राद्ध करना विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन, उन पितरों का भी श्राद्ध किया जा सकता है जिनकी मृत्यु तिथि आपको नहीं पता है। यह एक अवसर है जब आप अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि दे सकते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना कर सकते हैं। इस दिन किए गए श्राद्ध से आपके पितरों को प्रसन्नता मिलती है और आपके परिवार में सुख-शांति का माहौल बनता है।

सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:सर्वपितृ अमावस्या का महत्व
Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:सर्वपितृ अमावस्या का महत्व

Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:सर्वपितृ अमावस्या एक ऐसा दिन है जब सभी पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस अवसर पर उन पूर्वजों का भी श्राद्ध करना संभव है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं है। इस दिन तर्पण और पिंडदान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, और परिवार को उनके आशीर्वाद की प्राप्ति होती है।

यह दिन न केवल पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने का है, बल्कि यह हमारे परिवार की कल्याण और सुख-शांति का प्रतीक भी है। इस प्रकार, अपने पूर्वजों को धन्यवाद दें और इस आवश्यक अवसर का पूरा लाभ उठायें।

अमावस्या पर सूर्यग्रहण के कारण श्राद्ध नहीं होगा?

Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:सर्वपितृ अमावस्या पर पड़ने वाला सूर्यग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा और यह 2 अक्टूबर की सुबह से पहले ही समाप्त हो जाएगा। चूंकि ग्रहण अदृश्य रहेगा, इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। इसका मतलब है कि आप इस दिन बिना किसी चिंता के श्राद्ध कर्म संपन्न कर सकते हैं।

अपने परिवार को लाभ प्रदान करने तथा अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति सुनिश्चित करने के लिए, उन्हें सम्मान देकर इस अनोखे अवसर का भरपूर लाभ उठाएं।

सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण विधि कैसे करे?

Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण विधि कैसे करे
Sarva Pitru Amavasya Kab Hai?:सर्वपितृ अमावस्या पर तर्पण विधि कैसे करे

सर्व पितृ अमावस्या के दिन तर्पण करना एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। यहां पर इस प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से समझाया गया है:

  • सबसे पहले, जिस स्थान पर तर्पण करने जा रहे हैं, उसे गंगजल से शुद्ध करें।
  • इसके बाद, एक दीपक प्रज्वलित करें।
  • जिन पूर्वजों का तर्पण करना है, उनकी फोटो को चौकी पर रखें।
  • मंत्रों का जाप करते हुए पितरों को आह्वान करें।
  • जल से भरा लोटा लेकर, पितरों के नाम लेते हुए फोटो के सामने जल चढ़ाएं। तर्पण अंगूठे और पहली उंगली के बीच से जल अर्पित करें।
  • घी, दूध और दही को मिलाकर जल में अर्पित करें। इस दौरान तर्पयामी मंत्र का उच्चारण करें।
  • पिंड बनाएं और उसे कुश के ऊपर रखकर जल से सींचें।
  • पितरों को उनके प्रिय भोजन का भोग लगाएं और श्रद्धांजलि अर्पित करें।
  • तर्पण के बाद, पशु और पक्षियों को भी भोजन कराएं।
  • अंत में, अपनी श्रद्धानुसार ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा अवश्य दें।

इस प्रकार, इन सरल चरणों का पालन करके आप सर्व पितृ अमावस्या पर तर्पण विधि को संपन्न कर सकते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।

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