नवरात्रि की शुरुआत: कलश स्थापना का सही मुहूर्त, विधि और जानें शुभ समय और अखंड ज्योति के 5 महत्वपूर्ण नियम!

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Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat
Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat

Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:नवरात्रि का महापर्व हर साल अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है, इस बार यह पर्व 3 अक्टूबर, गुरुवार को प्रारंभ हो रहा है। इसे शारदीय नवरात्रि कहा जाता है, जिसमें मां दुर्गा के नौ दिव्य रूपों की आराधना की जाती है। इस पर्व की शुरुआत घटस्थापना या कलश स्थापना से होती है, जो नवरात्रि के दस दिवसीय उत्सव का प्रतीक है।

इस साल, घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 1 घंटा 6 मिनट और दोपहर में 47 मिनट का है। इसे प्रात: काल में करना सर्वश्रेष्ठ माना गया है। खास बात यह है कि इस दिन चित्रा नक्षत्र और वैधृति योग नहीं होने से घटस्थापना के लिए शुभ समय है।

घटस्थापना के साथ माता दुर्गा की अखंड ज्योति भी जलाई जाती है, जिसके लिए कुछ विशेष नियमों का पालन करना जरूरी है। इस बार, नवरात्रि 12 अक्टूबर तक चलेगी, जिसमें व्रत रखने और विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा।

तो, चलिए जानते हैं कि कलश स्थापना कैसे करें, इसके लिए आवश्यक सामग्री क्या होगी, और इस नवरात्रि में मां दुर्गा का आह्वान करने के लिए कौन से खास नियम अपनाने चाहिए!

घटस्थापना के दौरान ध्यान रखें ये महत्वपूर्ण बातें

Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:जब नवरात्रि के पहले दिन आप कलश की स्थापना करें, तो अपनी शुद्धता का खास ध्यान रखें और मन में नकारात्मक विचारों को न आने दें।

कलश को उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना शुभ माना जाता है। इसके अलावा, आप उत्तर या पूर्व दिशा में भी कलश रख सकते हैं, जो आपके घर में सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

कलश की स्थापना के साथ-साथ यह भी सुनिश्चित करें कि आप इन 9 दिनों में प्रतिदिन पूरी विधि-विधान से उसकी पूजा करें। नवमी के दिन, इन 9 दिनों की पूजा के बाद, दशमी तिथि को कलश का विसर्जन करना न भूलें।

इन सरल रीति-रिवाजों का पालन करके आप अपने घर में खुशी, शांति और समृद्धि का स्वागत कर सकते हैं।



Shardiya Navratri 2024 Muhurat: प्रतिपदा तिथि का समय

Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:

अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि की शुरुआत:2 अक्टूबर, बुधवार को रात 12:18 बजे 

अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि का समापन: 4 अक्टूबर, गुरुवार को सुबह 02:58 बजे

इस नवरात्रि के दौरान, आप इन तिथियों को ध्यान में रखते हुए अपनी पूजा और अनुष्ठान की तैयारी कर सकते हैं। इस खास अवसर का आनंद लें!

घट-स्थापना और कलश स्थापना का मुहूर्त(Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat)

Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:घट-स्थापना और कलश स्थापना का मुहूर्त
Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:घट-स्थापना और कलश स्थापना का मुहूर्त

Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:शारदीय नवरात्रि का पूजन आश्विन महीने की प्रतिपदा तिथि से आरंभ होता है, और इस साल, घट-स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त 3 अक्टूबर, 2024 (गुरुवार) को सुबह 6:30 से 7:31 बजे के बीच है। यदि इस अवधि में किसी कारणवश आप घट-स्थापना नहीं कर पाते, तो अभिजित मुहूर्त में 12:03 से 12:51 बजे तक भी यह कार्य किया जा सकता है।

इसके अलावा, 3 अक्टूबर को सुबह 6:15 बजे से लेकर 7:22 बजे तक कलश स्थापना का भी शुभ मुहूर्त है, जो कि सुबह के समय में 1 घंटा 6 मिनट तक रहेगा। दोपहर के लिए, कलश स्थापना का शुभ समय 11:46 बजे से 12:33 बजे तक है।

इन विशेष समयों का ध्यान रखते हुए, अपनी पूजा की तैयारी करें और नवरात्रि के इस पावन पर्व का आनंद लें!

अखंड ज्योति के 5 महत्वपूर्ण नियम

Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:अखंड ज्योति के 5 महत्वपूर्ण नियम
Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:अखंड ज्योति के 5 महत्वपूर्ण नियम

Navratri 2024 Ghatstaphana Shubh Muhurat:नवरात्रि के दौरान अखंड ज्योति जलाने का एक विशेष महत्व है। इस सदियों पुरानी परंपरा की सहायता से अनुयायी अपनी आंतरिक धार्मिक और आध्यात्मिक शक्ति को जागृत कर सकते हैं।शारदीय नवरात्रि के पहले दिन से ही घर में अखंड ज्योति स्थापित की जाती है, और इस दौरान कुछ खास नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। आइए जानते हैं, अखंड ज्योति से जुड़े ये 5 महत्वपूर्ण नियम:

धार्मिक साहित्य कहते हैं कि अखंड ज्योति को पूजा स्थान या घर के मंदिर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में लगाना चाहिए।

नवरात्रि में मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की पूजा के साथ-साथ अखंड ज्योति की भी आराधना करनी चाहिए, क्योंकि इसे देवी मां का प्रतीक माना जाता है।

जिस घर में अखंड ज्योति रखी जाती है, उसे कभी अकेला नहीं छोड़ा जाना चाहिए।

अखंड ज्योति की पवित्रता बनाए रखने के लिए घर में तामसिक भोजन नहीं बनाना चाहिए। नवरात्रि के व्रति को तामसिक भोजन की गंध और दर्शन से भी बचना चाहिए।

जो लोग अखंड ज्योति स्थापित करते हैं, उन्हें सतर्क रहना चाहिए। उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि ज्योति में तेल और बाती की कमी न हो, और यह किसी भी स्थिति में बुझनी नहीं चाहिए।

यह ध्यान रखें कि अखंड ज्योति अंधकार पर प्रकाश की विजय और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इसे आसपास से नकारात्मकता को दूर करने वाला तथा सकारात्मक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है।

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