शारदीय नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा,खास हलवे से करें भोग, जानें उनकी अद्भुत कहानी

0
63
Navratri 1st Day 2024
Navratri 1st Day 2024

Navratri 1st Day 2024:इस साल शारदीय नवरात्रि 3 अक्टूबर से शुरू हो रही है, और यह त्योहार भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। नवरात्रि का पहला दिन(Navratri 1st Day 2024) माँ शैलपुत्री की पूजा के लिए समर्पित है, जो देवी दुर्गा के पहले स्वरूप के रूप में जानी जाती हैं।

नवरात्रि के पहले दिन(Navratri 1st Day 2024) माँ शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन घटस्थापना भी की जाती है। जो भक्त माँ शैलपुत्री को खास हलवे का भोग अर्पित करते हैं, उन्हें सुख और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए, जानते हैं माँ शैलपुत्री की पूजा कैसे करनी चाहिए!

किसका रूप है मां शैलपुत्री?

माँ शैलपुत्री से जुड़ी एक प्रचलित कथा है, जो उनके पूर्वजन्म की कहानी बयां करती है। पहले जन्म में, उनका नाम सती था, और वे भगवान शिव की पत्नी थीं। एक बार, सती के पिता प्रजापति दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया और सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया। लेकिन सती और भगवान शिव को निमंत्रण नहीं दिया गया।सती अपने पति भगवान शिव के साथ यज्ञ में जाने की इच्छा रखती थीं, लेकिन भगवान शिव ने उन्हें बताया कि प्रजापति दक्ष ने उन्हें आमंत्रित नहीं किया है, इसलिए वहाँ जाना ठीक नहीं होगा। लेकिन सती ने अपने पति के कहने पर ध्यान नहीं दिया और बार-बार यज्ञ में जाने की प्रार्थना की।

भगवान शिव ने सती को समझाया कि प्रजापति दक्ष ने उन्हें यज्ञ में आमंत्रित नहीं किया है, इसलिए वहाँ जाना उचित नहीं होगा। लेकिन सती ने अपनी जिद नहीं छोड़ी और बार-बार यज्ञ में जाने का आग्रह करती रहीं। अंततः, भगवान शिव ने उनकी इच्छा का सम्मान करते हुए उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दी।

जब सती अपने पिता प्रजापति दक्ष के यज्ञ में पहुँचीं, तो उन्होंने देखा कि वहाँ कोई भी उनका स्वागत नहीं कर रहा था। केवल उनकी माँ ने ही उनका आदर किया, जबकि बाकी सभी ने उनसे मुंह मोड़ लिया। यहाँ तक कि उनकी बहनें भी उनका मजाक उड़ा रही थीं और भगवान शिव का अपमान कर रही थीं।

प्रजापति दक्ष ने भी सती का अपमान किया, जिससे सती का हृदय अत्यंत दुखी हो गया। उन्हें यह सब बर्दाश्त नहीं हुआ, खासकर जब उनके पति का तिरस्कार किया गया और वह अपमान सहन नहीं कर पाईं। दक्ष प्रजापति ने भी नहीं सोचा था कि सती ऐसा करेगी।

सती उसी यज्ञ में कूदकर भस्म हो गईं। उनका जीवन खतरा था। जब शिवजी को पता चला कि सती भस्म हो गई, वे क्रोधित हो गए और दक्ष के यज्ञ को तोड़ डाला। अगले जन्म में, यही सती शैलराज हिमालय की पुत्री होकर शैलपुत्री कहलाईं। शैलपुत्री भी भगवान शिव से विवाह करके उनकी पत्नी बन गईं।

माँ शैलपुत्री का दिव्य स्वरूप

Navratri 1st Day 2024:माँ शैलपुत्री का दिव्य स्वरूप
Navratri 1st Day 2024:माँ शैलपुत्री का दिव्य स्वरूप

Navratri 1st Day 2024:माँ शैलपुत्री का स्वरूप शांत और सरल है, जिसमें एक हाथ में त्रिशूल और दूसरे में कमल का फूल है। वे नंदी बैल पर सवार होकर हिमालय पर विराजमान हैं, इसलिए उन्हें वृषोरूढ़ा और उमा भी कहा जाता है। माँ सभी जीव-जंतुओं की रक्षक हैं और उन्होंने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की थी।

माँ शैलपुत्री की उपासना करने वाले भक्तगण, जो योग और साधना के लिए हिमालय की शरण लेते हैं, उनके आशीर्वाद से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। वे साधकों के मूलाधार चक्र को जागृत करने में मदद करती हैं, जिससे जीवन में मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

Navratri 1st Day 2024:माँ शैलपुत्री की पूजा करने का विधि

शारदीय नवरात्रि के पहले दिन(Navratri 1st Day 2024), ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें। फिर एक चौकी को गंगाजल से साफ करके माँ दुर्गा की मूर्ति या फोटो स्थापित करें। पूरे परिवार के साथ विधिपूर्वक कलश स्थापना करें। घट स्थापना के बाद, माँ शैलपुत्री का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।

माँ शैलपुत्री की पूजा षोड्शोपचार विधि से की जाती है, जिसमें सभी नदियों, तीर्थों और दिशाओं का आह्वान किया जाता है। माता को कुमकुम और अक्षत लगाएं, फिर सफेद, पीले या लाल फूल अर्पित करें। उनके समक्ष धूप और दीप जलाएं, और पांच देसी घी के दीपक प्रज्वलित करें। Navratri 1st Day 2024 पूजा के बाद माता की आरती करें और शैलपुत्री माता की कथा, दुर्गा चालिसा या दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। अंत में, परिवार के साथ माता के जयकारे लगाकर भोग अर्पित करें और पूजा को समाप्त करें। शाम को भी माँ की आरती करना न भूलें।

माता के प्रिय भोग

Navratri 1st Day 2024:माता के प्रिय भोग
Navratri 1st Day 2024:माता के प्रिय भोग

Navratri 1st Day 2024 पूजा के बाद, माँ शैलपुत्री को गाय के घी से बने खाद्य पदार्थ का भोग अर्पित करना चाहिए। यह माना जाता है कि माँ को विशेष रूप से गाय के घी से तैयार व्यंजन बहुत प्रिय हैं। यदि संभव हो, तो उन्हें गाय के घी में बने बादाम के हलवे का भोग जरूर लगाएं। दुर्गा सप्तशती में यह उल्लेखित है कि बादाम का हलवा माँ को अत्यधिक प्रिय है। जो भक्त इस भोग को अर्पित करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।

माँ शैलपुत्री की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को योग्य वर की प्राप्ति होती है और घर में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। उनका यह स्वरूप जीवन में स्थिरता और दृढ़ता का प्रतीक है, क्योंकि “शैल” का अर्थ पत्थर है, जो हमेशा अडिग और मजबूत माना जाता है। माता की उपासना से जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि का संचार होता है।

मां शैलपुत्री के मंत्र

वन्दे वांछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखरम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्।।
पूणेन्दु निभां गौरी मूलाधार स्थितां,

 प्रथम दुर्गा त्रिनेत्राम् | |
पटाम्बर परिधानां रत्नाकिरीटा नामालंकार भूषिता | |

Also Read-

तनाव के लक्षण कारण और उपचार

गर्भावस्था और परवरिश :माता पिता के लिए एक नई शुरुआत

Summer safety 5 tips-अब गर्मियों में स्वस्थ रहिए।

Best 10 health tips for healthy life

रोज सुबह खाए ये चीज ….मिलेंगे बहुत सारे फायदे

ये है सेहत का राज …. अगर हर रोज खाएंगे तो कभी खून की कमी नहीं होगी |



LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here