Ghatkopar Hoarding Collapse:शहर मुंबई ,दिन सोमवार के शाम के करीब तेज अंधी और तूफान से महाकाय होर्डिंग गिरने की वजह से कई लोगो के घर उजाड़ गए |
होर्डिंग 120 x 120 फीट इतना बड़ा था बताया जा रहा की वो होर्डिंग एडवरटाइजिंग कंपनी इगो मीडिया लिमिटेड कंपनी का था। जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई और करीब 75 लोग घायल हो गए, और उसका मालिक भावेश भिड़े है हलाकि जब घटना हुयी तबसे वो लापता था। लेकिन मुंबई पुलिस क्राइम ब्रांच ने उसे राजस्थान के उदयपुर से गिरफ्तार कर लिया है और उसे मुंबई लाया जा रहा है |
Ghatkopar Hoarding Collapse:करीब ४ दिन यानि ६६ घंटे तक चला बचाव अभियान
बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के आयुक्त भूषण गगर ने गुरुवार को घाटकोपर में होर्डिंग गिरने की घटना पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह एक दुखद घटना (Ghatkopar Hoarding Collapse)है और बताया कि बचाव अभियान पूरा हो चुका है। गगरानी ने इसे एक भयानक आपदा बताया जिसमें 16 लोगों की मौत हो गई जबकि लगभग 75 लोग घायल हो गए। बचाव प्रयास अब समाप्त हो गया है। यहां एक सक्रिय पेट्रोल पंप है, इसलिए हमारे बचाव अभियान में देरी हुई।
कंपनी के खुल गए राज…इतना कमाते थे हर साल
मुंबई के घाटकोपर इलाके के होर्डिंग (Ghatkopar Hoarding Collapse) गिरनेसे अबतक १६ लोग की मौत और ७५ लोग घालय है |इस पूरी घटना ने सिर्फ मुंबई ही नहीं तो पुरे देश में हलचल मचा दी है। घाटकोपर होर्डिंग के पीछे का व्यवसाय ईगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड है। पूर्व भाजपा सांसद किरीट सोमैया ने दावा किया कि कंपनी के सीईओ भावेश भिड़े पुलिस की संपत्ति पर लगाए गए चार होर्डिंग से हर साल 25 करोड़ रुपये कमा रहे थे। रिपोर्ट्स बताती हैं कि ईगो मीडिया सभी चार होर्डिंग के लिए जीआरपी (गवर्नमेंट रेलवे पुलिस) को कुल 24 लाख रुपये का वार्षिक किराया दे रहा था। इसके अलावा, उन्हें 40 लाख रुपये की एकमुश्त जमा राशि का भुगतान करना था, जो जीआरपी के कल्याण कोष में योगदान देता था।
किसने दी थी होर्डिंग लगाने के लिए मंजूरी ?
रेलवे के सहायक पुलिस आयुक्त (प्रशासन) ने बिलबोर्ड घटना के संबंध में एक बयान जारी किया, जिसमें खुलासा किया गया कि जिस पेट्रोल स्टेशन के नीचे बिलबोर्ड गिरा, उसका स्वामित्व भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड (BPCL) के पास है। दिलचस्प बात यह है कि यह स्टेशन रेलवे पुलिस की ज़मीन पर स्थित है। दिसंबर 2021 में, तत्कालीन जीआरपी आयुक्त कैसर खालिद ने भावेश की कंपनी को 10 साल की अवधि के लिए पेट्रोल स्टेशन के पास बिलबोर्ड प्रदर्शित करने की अनुमति दी थी।
नगर आयुक्त भूषण गगरानी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि बिलबोर्ड लगाने के लिए BMC से कोई प्राधिकरण नहीं मांगा गया था। साथ ही, बिलबोर्ड साइट के आस-पास के पेड़ों को ज़हर देने और सुखाने के संबंध में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई गई थी।
कब हुआ था होर्डिंग का टेंडर जारी ?
अक्टूबर 2020 में जीआरपी ने अपने कर्मियों के कल्याण के लिए धन जुटाने के नेक इरादे से होर्डिंग्स के लिए एक टेंडर नोटिस जारी किया था। हालांकि, होर्डिंग्स से जुड़ी दुखद घटना 2024 में सामने आई। जीआरपी द्वारा एगो मीडिया को दिए गए अनुमति पत्र के अनुसार, एजेंसी को डिस्प्ले बोर्ड की संरचनात्मक स्थिरता सुनिश्चित करने की एकमात्र जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि लापरवाही के कारण किसी भी नुकसान या क्षति के मामले में, एजेंसी क्षेत्र की मौजूदा जलवायु परिस्थितियों को देखते हुए जिम्मेदारी वहन करेगी।
बुधवार को डीजी (रेलवे पुलिस) डॉ प्रज्ञा सर्वदे ने दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए राज्य डीजी कार्यालय और गृह विभाग को एक रिपोर्ट सौंपी। लेख के अनुसार, बीएमसी ने अनापत्ति प्रमाण पत्र के अभाव में होर्डिंग्स लगाने पर सवाल उठाते हुए जीआरपी को नोटिस दिया था। जवाब में, जीआरपी ने स्पष्ट किया कि चूंकि होर्डिंग्स रेलवे से जुड़े थे, इसलिए उन्हें विज्ञापन होर्डिंग्स के लिए बीएमसी से अनुमति की आवश्यकता नहीं थी। नतीजतन, बीएमसी ने अपना नोटिस वापस लेने का फैसला किया।
भावेश भिंडे पर और भी है केस दर्ज
भिड़े 2009 में विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। एगो मीडिया से पहले उनकी गुज्जू एड्स नाम की कंपनी थी। हालांकि कई आपराधिक मामलों के बाद बीएमसी ने कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर दिया था। इनमें चेक बाउंस, होर्डिंग्स और बैनर के कई टेंडर मिलने के मामले शामिल हैं। भिड़े पर पेड़ों में जहर डालने का भी मामला दर्ज है। इसके बाद भावेश ने एगो मीडिया प्राइवेट लिमिटेड नाम से नई कंपनी खोली और इस कंपनी में होर्डिंग्स के ठेके लेता था। इसी साल जनवरी में उसे बलात्कार के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि उसके बाद उसे जमानत मिल गई थी। अब तक उसके खिलाफ 23 आपराधिक मामले दर्ज हैं। और इस घटना (Ghatkopar Hoarding Collapse)के बाद वह फरार हो गया था। मुंबई पुलिस की क्राइम ब्रांच ने उसे राजस्थान के उदयपुर से गिरफ्तार किया है।
भाजपा ने कहा – ४० की जगह १२० फिट का अवैध होर्डिंग लगाया
भाजपा ने पूरे मामले को लेकर महाराष्ट्र के पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे की आलोचना की है। भाजपा नेता और पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने कहा कि उद्धव ठाकरे 28 नवंबर 2019 को मुख्यमंत्री बने थे।। उनके कार्यकाल के दौरान ही होर्डिंग लगाने की अनुमति दी गई थी। भावेश भिड़े 7 दिसंबर, 2021 को होर्डिंग लगाने के लिए संदेह के घेरे में आए। सोमैया के अनुसार, Ghatkopar Hoarding Collapse में 16 लोगों की दुखद मौत के लिए उद्धव ठाकरे और सुनील राउत जिम्मेदार हैं। सोमैया ने आगे कहा कि आदित्य ठाकरे को डर है कि उनके पिता उद्धव ठाकरे इस मामले में फंस सकते हैं, जबकि संजय राउत को चिंता है कि उनके भाई सुनील राउत भी पुलिस जांच के दायरे में आ सकते हैं। किरीट सोमैया ने आरोप लगते हुए कहा की एक पुलिस अधिकारी कैसे अनुमति दे सकता है ? बल्कि मंजूरी तो BMC की देनी थी |कागजों पर 40 फुट के होर्डिंग के विनिर्देशों के बावजूद, उन्हें 120 फीट ऊंचा कर दिया गया, जिससे इतना भयावह हादसा हुआ। भाजपा नेता के अनुसार, मुंबई में लगभग 400 ऐसे बड़े बिलबोर्ड हैं, जो अपने कमज़ोर समर्थन ढांचे के कारण जोखिम पैदा करते हैं। इसके अलावा, रेलवे ने 2017-18 के बाद कई मामलों में अनाधिकृत बिलबोर्ड लगाने के लिए भावेश की एक और कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया था।
अवैध होर्डिंग- कोई करवाई क्यों नहीं?
अब क्राइम ब्रांच को Ghatkopar Hoarding Collapse भी जांच करनी होगी की इस १२० फिट x १२० फिट के अवैध होर्डिंग इतने दिनोसे प्रशासन को दिखी कैसे नहीं और इसपर अभी तक कोई करवाई क्यों नहीं हुई |
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