Shardiya Navratri 2024 3rd Day:नवरात्रि के तीसरे दिन (Shardiya Navratri 2024 3rd Day)मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्तों के सभी पापों का नाश होता है, और जीवन में किसी भी तरह के भय से मुक्ति मिलती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां चंद्रघंटा का स्वरूप बेहद शांतिदायक और कल्याणकारी है, जो सुख-समृद्धि का संचार करता है।
5 अक्टूबर को मां चंद्रघंटा की पूजा विधि से करने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है और सामाजिक सम्मान भी प्राप्त होता है। रणचंडी, चंडिका और चंद्रखंड उसके कुछ अन्य नाम हैं।उनकी पूजा से न केवल भौतिक सुखों में वृद्धि होती है, बल्कि मां अपने भक्तों की सुख-समृद्धि में भी इजाफा करती हैं।
आइए, जानते हैं मां चंद्रघंटा की पूजाविधि, प्रिय भोग, और पूजा मंत्र ताकि इस नवरात्रि को विशेष और फलदायक बनाया जा सके।
Shardiya Navratri 2024 3rd Day क्या है मां चंद्रघटा की कहानी?
मां चंद्रघंटा की कथा देवी दुर्गा के तीसरे स्वरूप से जुड़ी हुई है। इस कथा के अनुसार देवताओं की सहायता करने के लिए माता ने दुर्गम राक्षसों का सफाया कर दिया।
एक समय की बात है, जब धरती पर एक अत्यंत शक्तिशाली राक्षस नामक महिषासुर ने उत्पात मचाया था। उसने स्वर्ग के देवताओं को भी पराजित कर दिया और उनके अधिकारों को छीन लिया। देवताओं ने इस स्थिति का सामना करने के लिए भगवान शिव, विष्णु और ब्रह्मा की शरण ली। उन सभी ने मिलकर एक दिव्य शक्ति का आवाहन किया, जिससे देवी दुर्गा का अवतार हुआ।
मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा ने अपनी मां की शक्तियों के साथ-साथ एक खूबसूरत घंटे का रूप धारण किया। उनके सिर पर चंद्रमा की एक घंटे जैसी आकृति थी, जो उन्हें चंद्रघंटा नाम से पहचान दिलाती है। मां का यह रूप बेहद शांत, सौम्य और ममतामयी है।
जब मां चंद्रघंटा ने राक्षसों का सामना किया, तो उनके अद्भुत रूप और शक्तियों के कारण राक्षस भयभीत हो गए। उन्होंने अपने मंत्रों और दिव्य अस्त्रों से महिषासुर और अन्य राक्षसों का संहार किया। मां चंद्रघंटा की भक्ति से भक्तों के मन में आत्मविश्वास और शक्ति का संचार होता है।
इस प्रकार, मां चंद्रघंटा ने राक्षसों का नाश करके देवताओं को उनकी खोई हुई शक्तियाँ लौटा दीं और धरती पर सुख-शांति स्थापित की। उनके प्रति भक्ति करने से भक्तों के जीवन में भी समृद्धि और कल्याण आता है।
मां चंद्रघंटा की पूजा नवरात्रि के तीसरे दिन विशेष रूप से की जाती है, और भक्तगण उनके आशीर्वाद से हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति प्राप्त करते हैं।
मां चंद्रघंटा का स्वरूप
नवरात्रि के तीसरे दिन (Shardiya Navratri 2024 3rd Day)मां चंद्रघंटा की पूजा विशेष रूप से की जाती है। उसका रूप बहुत ही सुन्दर और अद्भुत है।मां चंद्रघंटा के शरीर का रंग सोने जैसा चमकदार है और वे शेर की सवारी करती हैं। उनके आठ हाथों में कमल, धनुष, बाण, तलवार, कमंडल, त्रिशूल और गदा जैसे शक्तिशाली अस्त्र हैं, जो उन्हें राक्षसों का विनाशक बनाते हैं।
मां के इस नाम के पीछे का कारण उनके माथे पर स्थित चंद्रमा के आकार का घंटा है।उनके गले में सफेद फूलों की माला और सिर पर रत्नजड़ित मुकुट होता है। मां हमेशा युद्ध की मुद्रा में तंत्र साधना में लीन रहती हैं, जो उनके सौम्य और शक्तिशाली व्यक्तित्व को दर्शाता है।
मां चंद्रघंटा(Maa Chandraghanta) की पूजा करने से भक्तों में आत्मविश्वास और प्रभाव में वृद्धि होती है। इस अनोखी पूजा से सामाजिक सम्मान और व्यावसायिक उपलब्धि प्राप्त होती है। अपने अनुयायियों के लिए, माँ चंद्रघंटा निरंतर प्रेरणा का स्रोत हैं।
मां चंद्रघंटा की पूजा विधि कैसे करे?
नवरात्रि के तीसरे दिन (Shardiya Navratri 2024 3rd Day)मां चंद्रघंटा की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन सुबह उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद मां चंद्रघंटा का ध्यान करें। एक चौकी स्थापित करें और उस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं।
अब मां को कुमकुम और अक्षत का तिलक लगाएं, जो उनके प्रति आपकी श्रद्धा को दर्शाता है। मां को पीले रंग के फूल अर्पित करें, क्योंकि ये उनके प्रिय होते हैं।
मां चंद्रघंटा को दूध से बनी मिठाइयां और खीर अति प्रिय हैं। इन्हें अर्पित करने से मां की कृपा आपके जीवन पर अवश्य बरसेगी।
इसके बाद दुर्गा सप्तशती और चंद्रघंटा माता की आरती का पाठ करें। शाम को भी आरती करें और ध्यान लगाएं। पूजा के दौरान निम्नलिखित मंत्र का उच्चारण करना न भूलें, जिससे आपकी पूजा और भी फलदायी होगी।
इस विधि का पालन करने से मां चंद्रघंटा की अनंत कृपा प्राप्त होती है।
मां चंद्रघंटा का प्रिय भोग क्या है?
नवरात्रि के तीसरे दिन (Shardiya Navratri 2024 3rd Day)मां चंद्रघंटा की पूजा में विशेष रूप से खीर का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है। खासकर केसर की खीर मां को बेहद प्रिय है।
आप लौंग, इलायची, पंचमेवा और दूध से बनी मिठाइयों को भी भोग के रूप में अर्पित कर सकते हैं। इसके अलावा, भोग में मिसरी का समावेश करना न भूलें, क्योंकि यह मां को बहुत पसंद है। पेड़े भी भोग में चढ़ाने का एक अच्छा विकल्प हैं।
इन सभी भोगों को अर्पित करने से मां चंद्रघंटा की कृपा आप पर बनी रहती है और आपके जीवन में सुख और समृद्धि का संचार होता है।
मां चंद्रघंटा के मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा ण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमस्तस्यै, नमो नम:।।
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